निबंध कैसे लिखते हैं? Essay लिखने का तेरीका क्या है?

निबंध जिसे इंग्लिश में essay कहते है एक आर्टिकल के ही सामान होता है जिसमे हम एक विषय पर जानकारी लिखते हैं। परीक्षा में निबंध आते ही हैं, अगर आपको निबंध लिखना नहीं आता तो आप निबंध को रट्टा मार रहे हो।

लेकिन अगर आप सही मायने में निबंध लिखना जान जाते हो तो आप किसी भी विषय में निबंध लिख सकते हो।

आज हम इसी के बारे में आपको बताने वाले हैं, कि निबंध आखिर लिखा कैसे जाता है और निबंध लिखने का तरीका क्या है?

1. निबंध का स्वरुप

(क) विषय का चुनाव : दिए गए विषयों में से किसी एक विषय को सावधानी चुन लीजिए। कुछ विद्यार्थी जल्दी में किसी भी विषय पर निबंध लिखना शुरू कर देते हैं, लेकिन 8-10 पंक्तियाँ लिखने के बाद वे आगे नहीं लिख पाते और उस निबंध को अधूरा छोड़कर दूसरे विषय पर लिखना शुरू कर देते हैं। इसलिए विद्यार्थियों को भलीभांति विचार कर उसी विषय पर अपनी कलम चलानी चहिए, जिस पर लिखने के लिए उनके पास पर्याप्त सामग्री हो।

(ख) रूपरेखा : निबंध का विषय चुनने के बाद उसकी कच्ची रूपरेखा एक पेपर पर तैयार कर लेना चहिए। रूपरेखा से निबंध की लंबाई का अंदाजा लग जाएगा। अगर लंबाई ज्यादा जान पड़े तो कम महत्व के मुद्दों (points) को छोड़ दें।

(ग) रूपरेखा का विस्तार : रूपरेखा भलीभांति तैयार करने के बाद उसके मुद्दों का क्रमश: उचित विस्तार करना चहिए।

(1) प्रारंभ या भूमिका : निबंध का प्रारंभ आकर्षक, स्वाभाविक और संक्षिप्त होना चाहिए। निबंध का प्रारंभ निबंध के विषय से संबंधित होना चाहिए। अच्छा प्रारंभ आधी सफलता का सूचक है।

निबंध कैसे लिखते हैं? How to write an essay?

प्रारंभ या भूमिका के कुछ तरीके

  1. विषय की व्याख्या देकर,
  2. विषय का महत्त्व स्पष्ट करते हुए,
  3. वर्तमान परिस्तिथि में विषय की चर्चा से,
  4. किसी कहानी या संवाद के अंश में,
  5. किसी कहावत या लोकोक्ति के अंश से,
  6. किसी संबंधित प्रसंग के उल्लेख से,
  7. किसी अवतरण से,
  8. किसी काव्य पंक्ति से।

(2) मध्यभाग : निबंध का यह भाग बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस भाग में विषय संबंधी महत्वपूर्ण बातों को अलग-अलग अनुच्छेदों (paragraphs) में प्रस्तुत करना चाहिए।

(3) उपसंहार या अंत : अच्छे निबंध का अंत भी प्रारंभ की तरह ही अत्यंत स्वाभाविक हो- संक्षिप्त और स्पष्ट, आकर्षक और भावपूर्ण! इससे प्राय: पूरे निबंध का निचोड़ अथवा तात्पर्य दो-तीन वाक्यों में लिखना चहिए।

कुछ विशेष बातें

1. निबंध के भिन्न-भिन्न मुद्दों के लिए नया अनुच्छेद (paragraph) होना चाहिए। आम तौर पर निबंध चार या पाँच अनुच्छेदों में होना चाहिए।

2. एक अनुच्छेद में एक ही विचार की चर्चा होनी चाहिए। उसमें परस्परविरोधी विचारों को स्थान नहीं देना चाहिए।

3. प्रत्येक विचार और परिच्छेद दूसरे विचार और परिच्छेद से संबंधित हो। एक ही बात घूमा-फिराकर बार-बार न कही जाए, क्योंकि ऐसी पुनरुक्ति करने से निबंध शिथिल और नीरस बन जाता है।

4. निबंध-लिखने में व्याकरण की ग़लतियाँ नहीं होनी चाहिए। लिंग, वचन, कारक आदि की ओर ध्यान देना चाहिए,

5. वर्तनी और विरामचिन्हों की ओर भी पर्याप्त ध्यान देना चहिए। अगर किसी शब्द की वर्तनी-वर्णविन्यास में शंका हो, तो उसके पर्याय (समानार्थी शब्द) का प्रयोग करना चाहिए।

6. निबंध में अप्रचलित या अत्यंत कठिन शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। वाक्य सरल, सुबोध और छोटे-छोटे होने चाहिए।

7. मुहावरों का उचित प्रयोग करना चाहिए। अलंकार, मुहावरे-कहावत, अवतरण आदि का प्रयोग उचित स्थान पर उचित मात्रा में करना चहिए।

8. प्रारंभ से अंत तक पूरे निबंध की लिखावट स्वच्छ और सुंदर होनी चाहिए।

2. निबंध के लिए आवश्यक तैयारी

निबंध लिखने में कुशलता प्राप्त करने के लिए दो बातें आवश्यक हैं-

  1. निबंध के स्वरूप से परिचित होना और
  2. उचित विचार-सामग्री का समावेश।

विचार सामग्री प्राप्त करने के लिए नीचे लिखे हुए साधनों की सहायता ली जा सकती है:

1. निरीक्षण : निबंध के लिए आवश्यक सामग्री जुटाने का प्रमुख साधन है निरीक्षण अर्थात ‘देखने वाली आँख’। दिन-प्रतिदिन दिखाई देने वाली चीजों के बारे में भी आम तौर पर विद्यार्थी दो-चार खास बातों के सिवा और कुछ नहीं बता सकते। इसका कारण है निरीक्षण शक्ति का अभाव। निरीक्षण का अर्थ केवल देखना नहीं है। निरीक्षण से यह तात्पर्य है कि जिस चीज या घटना को हम देखें, उसके बारे में सभी बातें भलीभांति जान लें।

हम जब बगीचा देखें तो यह जान लें कि-

  1. बगीचा कहाँ है? उसका नाम क्या है?
  2. उसका विस्तार कितना है? उसके आस-पास का वातावरण कैसा है?
  3. उसमें कितने विभाग हैं? प्रत्येक विभाग में क्या-क्या विशेषताएँ हैं?
  4. उसमें कौन-कौन से पेड़-पौधे, फूल आदि हैं?
  5. वहाँ कौन-कौन से पक्षी हैं?
  6. वहाँ आने वाले लोग कैसे हैं? वे क्या कर रहे हैं?
  7. बगीचे का वातावरण मनुष्य के मन पर क्या प्रभाव डालता है? आदि।

भिन्न-भिन्न चीजों को भी इसी प्रकार की सूक्ष्म दृष्टि से देखना चाहिए।

2. पर्यटन : यह निबंध की सामग्री एकत्र करने इ दूसरा साधन है। पर्यटन द्वारा हमें अनेक वस्तुओं, स्थानों और व्यक्तियों को प्रत्यक्ष देखने और उनके बारे में जानकारी प्राप्त करने का अवसर मिलता है।

रेल, बस या हवाई जहाज़ से यात्रा किए बिना यात्रा के अनुभवों को सही रूप में कागज़ पर उतारना कठिन होता है। पर्यटन के माध्यम से हमें सामाजिक, आर्थिक, भौगोलिक, ऐतिहासिक आदि सभी प्रकार का ज्ञान प्राप्त होना है।

3. स्वाध्याय : विचार-सामग्री जुटाने में स्वाध्याय का भी बहुत महत्त्व होता है। स्वाध्याय से हमारी सूझ और समझदारी बढ़ती है, हमें भाषाशैली का ज्ञान प्राप्त होता है और साथ-ही-साथ हमारा मनोरंजन भी होता है।

हमें ऐसी पुस्तकें पढ़नी चाहिए जिनमें संसार के कर्मवीरों ओ यशोगान हो, उन्नत जातियों का गौरवपूर्ण तथा ओजस्वी इतिहास हो, यात्रियों की यात्राओं का रोचक व्रत्तांत हो और वैज्ञानिक अनुसंधानों का विवरण हो। ऐसे विषय हमारे बौधिक विकास में सहायक होने और हमारी लेखनशक्ति को विकसित करेंगे।

हमें नियमित रूप से अध्ययन करना चाहिए। जहाँ कहीं भी कोई उपयोगी चीज मिले, चाहे वह उत्तम विचार हो, अच्छे शब्द हों, मुहावरा या कहावत हो, अपने ज्ञानभंडार में उसका संग्रह करते रहना चाहिए।

4. सत्संग : हमारे बौधिक एवं चारित्रिक विकास में सत्संग का बहुत महत्व है। सज्जनों की संगती और उनके साथ वार्तालाप करने से हमें जीवन के बारे में महत्वपूर्ण बातें मालूम होती है और हमारे ज्ञान का विकास होता है। इसके फलस्वरूप हमारी लेखनशक्ति को नई दिशा मिलती है।

परीक्षा में निबंध लिखते समय ध्यान में रखने योग्य बातें

1. निबंध प्रश्नपत्र के अन्य प्रश्नों से पहले कभी नहीं लिखना चाहिए। सबसे पहले निबंध लिखने से सोचने में काफी समय निकल जाता है और अन्य प्रश्नों के उत्तर लिखने के लिए कम समय बच जाता है।

बहुत से विद्यार्थी निबंध को अंत में लिखते हैं। इसका परिणाम प्राय: यह होता है कि उन्हें जल्दबाजी करनी पड़ती है। पूरा समय न रहने पर घबराहट होती है और विषयवस्तु एवं भाषाशैनी की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया जा सकता। इसलिए निबंध जैसे महत्वपूर्ण प्रश्न में उन्हें बहुत कम अंक मिलते हैं। कभी-कभी समय की कमी के कारण निबंध अधूरा ही छोड़ देना पड़ता है। इसलिए निबंध सबसे पहले या अंत में नहीं लिखना चाहिए।

निबंध मध्य में अर्थात दूसरे घंटे की शुरुवात में ही लिखना उचित होता है।

2. निबंध का चुनाव, रूपरेखा, विस्तार, अंत, भाषा, परिच्छेद, भाषा-शुद्धि, लंबाई आदि के विषय में दी गई सूचनाओं का पालन कीजिए।

3. निबंध लिखने के बाद उसे एक बार फिर से अच्छी तरह पढ़ लेना चाहिए, ताकि कहीं कोई गलती हो तो उसे सुधारा जा सके।

4. निबंध के लिए 8 अंक रखे गए हैं। इस दृष्टि से निबंध लगभग बीस मिनट में अवश्य पूरा कर लेना चाहिए।

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